#चैत्र नवरात्रि का आरंभ:
नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापना और कलश स्थापना करने का विधान होता है। घटस्थापना के बाद से ही नवरात्रि का प्रारंभ माना जाता है। शास्त्रों में कलश को भगवान गणेश की संज्ञा दी गई है और किसी पूजा के लिए सर्वप्रथम गणेश जी की वंदना की जाती है।
#घटस्टाप्ना की विधि :
हैप्पी नवरात्री २०२० |
- घर में उत्तर-पूर्व दिशा कलश स्थापना के लिए उपयुक्त होती है। इसके लिए घर के उत्तर-पूर्वी हिस्से में अच्छे से साफ-सफाई करनी चाहिए। घट स्थापना वाले स्थान को गंगा जल से स्वच्छ करें और जमीन पर साफ मिट्टी बिछाएं, फिर उस साफ मिट्टी पर जौ बिछाएं। इसके बाद फिर से उसके ऊपर साफ मिट्टी की परत बिछाएं और उस मिट्टी के ऊपर जल छिड़कना चाहिए। फिर उसके ऊपर कलश स्थापना करनी चाहिए।
- गले तक कलश को शुद्ध जल से भरें और उसमें एक सिक्का रखे । कलश के जल में गंगा जल अवश्य मिलाएं। अगर संभव हो तो कुछ और पवित्र नदियों का जल भी आप कलश के जल में मिला सकते है। इसके बाद कलश पर अपना दाहिना हाथ रखकर इस मंत्र का जाप करें -
गंगे! च यमुने! चैव गोदावरी! सरस्वति!
नर्मदे! सिंधु! कावेरि! जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु।।
#पूजा का संकल्प :
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे
आश्विनशुक्लप्रतिपदे अमुकवासरे प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि एतासु नवतिथिषु
अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन् अमुकगोत्रः
अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।
यदि मंत्रोंचार नहीं करना हैं?
अगर आप मंत्र नहीं पड़ना चाहते तो ,आप बिना मंत्र के ही गंगा, यमुना, कावेरी, गोदावरी, नर्मदा आदि पवित्र नदियों के साथ वरूण देवता का ध्यान । इसके बाद कलश के मुख पर कलावा बांधे और फिर एक कटोरी से कलश के मुख को ढ़क दे। इसके बाद ढकी गई कटोरी में जौ भरे । एक नारियल ले और उसे लाल कपड़े से लपेटकर कलावें से बांध दे। फिर उस नारियल को जौ से भरी हुई कटोरी के ऊपर स्थापित कर दें ।
सामग्री पूजा के लिए -
१.)मां का सोलह श्रंगार:
नवरात्रि में मां का सोलह श्रंगार किया जाता है. सोलह श्रृंगार में मां को-- लाल चुनरी
- लाल चूड़ी
- बिछिया
- पायल
- लाल सिन्दूर
- महावर
- लाल रंग की बिंदी
- लाल रिबन
- मेहंदी
- लाल नेलपॉलिश
- हार
- कान के लिए कर्णफूल
- लाल रंग की लिपस्टिक
२.)घट स्थापना:
नवरात्रि में पवित्र कलश की स्थपना की जाती है. इसके लिय-
- मिट्टी का कलश
- पानी वाला नारियल (जटा) के साथ
- आम के पत्ते
- मौली
- रोली
- गंगा जल
- जायफल
- एक सिक्का
- जौ
- एक बड़ा दिया
- घी और रुई की बत्ती
३.)यज्ञ के लिए:
नवरात्रि में कुछ लोग मां शक्ति को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ भी करते हैं. यज्ञ के लिए -
- हवन कुंड
- 9 लौंग
- कपूर
- सुपारी
- गुग्गुल
- धूप-बत्ती
- पंच-मेवा
- देसी घी
- चावल
- आम की लकड़ी
- समिधा (हवन सामग्री)
४.)जौ -रोपण :
नवरात्रि में लोग घट स्थापना से पहले जौ-रोपण करते हैं. इसके लिए-
- मिट्टी का एक बर्तन,
- साफ मिट्टी
- जौ
५.)मां की जोत के लिए:
कुछ लोग नवरात्रि के दौरान अखण्ड डीप की स्थापना करते हैं. इसके लिए-
- मिट्टी का दिया,
- गाय का घी,
- रुई की बत्ती
६.)पुष्प और लाल वस्त्र:
नवरात्रिमें मां की चौकी पर बिछाने के लिए
- लाल कपड़ा
मां का श्रंगार करने के लिए-
- पुष्प( मां को गुड़हल क फूल काफी प्रिय होते है.)